खाना पकाने का तेल (Cooking Oil) भारतीय रसोई की सबसे आवश्यक वस्तुओं में से एक है। तेल के दामों में उतार-चढ़ाव का आम आदमी की जीवनशैली पर सीधा असर पड़ता है। पिछले दो वर्षों में वैश्विक बाजार की अनिश्चितताओं, आयात शुल्कों में बदलाव और घरेलू उत्पादन की चुनौतियों के चलते खाना पकाने के तेल की कीमतें काफी बढ़ गई थीं। इससे आम परिवारों की थाली पर भारी असर पड़ा। लेकिन सितंबर 2025 में बड़ी राहत की खबर सामने आई है। सरकार ने तेल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिससे अब सस्ते दामों में तेल मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
इस लेख में खाना पकाने के तेल की कीमतों में आए इस हालिया बदलाव के कई कारणों को समझेंगे, सरकार की उस योजना या रणनीति के बारे में विस्तार से जानेंगे जिसके चलते कीमतें गिर रही हैं, और साथ ही यह भी जानेंगे कि आम उपभोक्ता को इस से कैसे लाभ मिलेगा।
Cooking Oil Price Drop 2025
2025 में सरकार ने खाने के तेल के आयात पर लगाए जाने वाले आयात शुल्क (import duties) में कटौती की है। कच्चे तेलों पर शुल्क कम कर दिया गया ताकि आयातक कीमत कम कर सकें और इसका फायदा अंततः उपभोक्ताओं को मिले। इसके साथ ही जीएसटी (GST) पर भी राहत दी गई जिससे कुकिंग ऑयल सस्ता हो गया। बाजार में तेल की कीमतें तेजी से घटने लगी हैं, जिससे अब ग्राहक लगभग 140 से 150 रुपये प्रति लीटर में अच्छी गुणवत्ता का कुकिंग तेल खरीद पा रहे हैं।
सरकार ने 2011 के पुराने वेजिटेबल ऑयल प्रोडक्ट्स, प्रोडक्शन एंड अवेलेबिलिटी (VOPPA) ऑर्डर को हटाकर 2025 में एक नया नियम बनाया है। यह नया नियम तेल की उत्पादन, बिक्री, कीमत और स्टॉक की डिजिटल रिपोर्टिंग अनिवार्यता लाता है जिससे बाजार की निगरानी और मूल्य नियमन बेहतर हो सकेगा। इस आदेश की मदद से सरकार तेल की किल्लत और कीमतों की वास्तविक स्थिति को सुधार पाएगी।
इसके अलावा, सरकार ने विशेष रूप से घरेलू तेल उत्पादन को बढ़ाने हेतु कई मिशन शुरू किए हैं जैसे नेशनल मिशन ऑन एजिबल ऑयल्स – ऑयल पाम (NMEO-OP) और नेशनल मिशन ऑन एजिबल ऑयल्स – ऑयलसीड्स (NMEO-Oilseeds)। इन योजनाओं के तहत किसानों को पैदावार बढ़ाने के लिए वित्तीय और तकनीकी मदद दी जा रही है। इससे उत्पादन बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी, जो लंबे समय में तेल के दामों को स्थिरता देगा।
सरकार की योजनाएं और उपाय
सरकार की मुख्य योजना नेशनल मिशन ऑन एजिबल ऑयल्स है, जिसमें दो प्रमुख शाखाएं हैं – ऑयल पाम और ऑयलसीड्स। इस योजना का उद्देश्य देश के तेल उत्पादन को बढ़ाकर घरेलू मांग को पूरा करना और आयात पर निर्भरता घटाना है। 2025-26 तक अतिरिक्त लाखों हेक्टेयर भूमि पर ऑयल पाम की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही किसानों को नई तकनीक व अच्छे बीज उपलब्ध कराए जा रहे हैं ताकि उत्पादन बेहतर हो।
सरकार ने कस्टम ड्यूटी में भी समय-समय पर बदलाव किया है। पिछले कुछ महीनों में कच्चे तेलों पर ड्यूटी को घटाकर 10% कर दिया ताकि सस्ता तेल बाजार में आ सके। वहीं तैयार तेलों पर अधिक ड्यूटी रखी गई है ताकि घरेलू परिशोधित तेल उत्पादन को बढ़ावा मिले। इससे घरेलू उद्योग भी मजबूत होगा।
जीएसटी में भी बड़ा बदलाव हुआ है। सरकार ने खाना पकाने के तेल पर लगे जीएसटी को कम या समाप्त किया, जिससे अंतिम उपभोक्ता को सीधे तौर पर कीमतों में राहत मिली है। इस फैसले के बाद ही तेल के दाम करीब 50 से 60 रुपये प्रति लीटर तक कम हुए। यह फैसला हर आम आदमी के लिए बड़ी राहत साबित हुआ है।
उपभोक्ता को क्या फायदा होगा और कैसे मिलेगा?
इस नई पहल के चलते अब बाजार में खाना पकाने का तेल पहले से काफी सस्ता हो गया है। आम घरेलू परिवार अब 140-150 रुपये प्रति लीटर के बीच अच्छा तेल खरीद सकते हैं। यह गिरावट सीधे तौर पर परिवारों के रोजमर्रा के खर्चों में कमी लाएगी। इसके अलावा, जब तेल सस्ता होगा तो खाद्य महंगाई पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा, क्योंकि खाना पकाने के तेल का उपयोग लगभग हर घर में होता है।
सरकार निरंतर बाजार और सप्लाई चेन की निगरानी कर रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि तेल की कीमतों में गिरावट उपभोक्ताओं तक सही तरीके से पहुंचे। इस दिशा में खाद्य सचिव और संबंधित विभाग लगातार काम कर रहे हैं। इसके अलावा, अगर कोई उपभोक्ता उचित दाम पर तेल नहीं पा रहा हो तो वह उचित शिकायत माध्यमों का उपयोग कर सकता है।
आगे भी सरकार का लक्ष्य घरेलू उत्पादन को बढ़ाकर बाजार में तेल की उपलब्धता सुधारना और दामों को स्थिर बनाए रखना है। किसानों को नई योजनाओं के तहत प्रोत्साहन देकर तेल उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि आयात की निर्भरता कम से कम हो।
खाना पकाने के तेल के लेटेस्ट दाम और किस प्रकार खरीदें
सितंबर 2025 की स्थिति के अनुसार, सामान्य कुकिंग ऑयल की कीमतें लगभग 140 से 150 रुपये प्रति लीटर तक गिर गई हैं। इस कीमत पर भारतीय बाजार में उपलब्ध अधिकांश ब्रांड्स के तेल खरीदे जा सकते हैं। तिल का तेल, सरसों का तेल, सूरजमुखी का तेल, सोयाबीन और पाम तेल के दाम इसी रेंज में हैं। हालांकि, क्वालिटी और ब्रांड के आधार पर कीमतों में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है।
खाना पकाने का तेल खरीदते समय यह ध्यान रखें कि तेल प्रमाणित और फ्रेश हो। सरकार द्वारा चलाए जा रहे निर्धन परिवारों के पोषण कार्यक्रमों में और भी अन्य प्रकार के किफायती तेल वितरण के विकल्प मौजूद रहते हैं, जिनके लिए स्थानीय राशन कार्यालय या सरकारी पोर्टल पर जानकारी ली जा सकती है।
निष्कर्ष
2025 में खाना पकाने के तेल की कीमतों में आई यह गिरावट आम जनता के लिए बड़ी राहत लेकर आई है। सरकार ने आयात शुल्क, जीएसटी और उत्पादन बढ़ाने की योजनाओं के माध्यम से कीमतों को नियंत्रित किया है। इस कदम से न केवल घरेलू परिवारों का खर्चा कम होगा, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा में भी सुधार होगा। आने वाले समय में घरेलू उत्पादन को और बढ़ाकर तेल की कीमतों को स्थिर बनाना सरकार का मुख्य लक्ष्य रहेगा, जिससे तेल का सस्ता और स्थायी मिलना सुनिश्चित होगा।