देशभर के सरकारी कर्मचारी लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग कर रहे थे। नई पेंशन स्कीम लागू होने के बाद से कर्मचारियों में असंतोष बढ़ा हुआ था, क्योंकि इसमें उन्हें उतनी सुरक्षा और गारंटी नहीं मिल रही थी जितनी पुरानी स्कीम में मिलती थी। अब सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले ने सरकारी कर्मचारियों के चेहरे पर मुस्कान ला दी है।
यह फैसला उन लाखों कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत बनकर आया है जो अपनी सेवा के बाद आर्थिक सुरक्षा चाहते हैं। पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) को लेकर राज्यों और केंद्र सरकार के बीच कई बार मतभेद सामने आए, लेकिन आज आए इस नए नियम और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय ने कर्मचारियों को मजबूती दी है। इस कदम से अब उन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन की पूरी गारंटी मिलेगी।
सरकारी कर्मचारी मानते हैं कि पेंशन उनका अधिकार है और उनके बुढ़ापे के समय का सहारा भी। इस ताजा फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को अब जीवनभर निश्चित पेंशन राशि मिलेगी। इससे उनके भविष्य की चिंता काफी हद तक खत्म होगी और सरकारी नौकरी की आकर्षकता भी पहले जैसी बनी रहेगी।
Old Pension Scheme 2025
पुरानी पेंशन स्कीम यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) सरकार द्वारा चलाई जाने वाली वह व्यवस्था थी, जिसमें कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद हर महीने एक तय पेंशन मिलती थी। यह पेंशन उनके अंतिम वेतन और सेवा अवधि पर आधारित होती थी।
इस स्कीम में कर्मचारी को यह भरोसा होता था कि उसकी वृद्धावस्था में आर्थिक जरूरतें पूरी होती रहेंगी। OPS के तहत पेंशन का पूरा भुगतान सरकार की जिम्मेदारी मानी जाती थी। इसमें न तो मार्केट रिस्क होता था और न ही निवेश की कोई चिंता।
साल 2004 से केंद्र सरकार ने नई पेंशन स्कीम (NPS) लागू की थी। इसके तहत पेंशन की जगह कॉन्ट्रिब्यूशन आधारित व्यवस्था बनी। यानी कर्मचारी और सरकार दोनों फंड में योगदान करते हैं और रिटायरमेंट पर मिलने वाली पेंशन मार्केट परफॉर्मेंस और निवेश पर निर्भर हो गई।
नई पेंशन स्कीम और विवाद
NPS लागू होने के बाद कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना बढ़ी। क्योंकि इसमें पेंशन का निश्चित प्रावधान नहीं था। यदि शेयर बाजार या निवेश सही परफॉर्म न करे तो पेंशन की राशि काफी कम हो जाती थी।
दूसरी बड़ी समस्या यह रही कि पहले की तरह अंतिम वेतन पर आधारित जीवनभर की गारंटीड पेंशन अब खत्म हो गई थी। इससे वह भरोसा टूट गया कि रिटायरमेंट के बाद प्रत्येक माह एक निश्चित रकम हाथ में आएगी।
यही कारण है कि विभिन्न राज्यों में कर्मचारी संगठन लगातार OPS की बहाली का आंदोलन कर रहे थे। राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल और पंजाब जैसे राज्यों ने पुरानी पेंशन स्कीम दोबारा लागू करने का फैसला भी लिया।
सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक आदेश दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि 2004 से पहले नियुक्त कर्मचारियों पर नई पेंशन स्कीम लागू नहीं होगी। ऐसे कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम के अंतर्गत ही आएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि पेंशन कोई इनाम नहीं बल्कि कर्मचारी का अधिकार है। सेवा पूर्ण करने के बाद उसे जीवनभर आर्थिक सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है। इस फैसले के बाद लाखों कर्मचारियों और अधिकारियों की उम्मीदें फिर से जाग उठी हैं।
नए नियम के तहत कर्मचारियों को फिर से उस व्यवस्था का लाभ मिलेगा जिसमें अंतिम प्राप्त वेतन का 50% पेंशन के रूप में दिया जाएगा। इसके अलावा, महंगाई भत्ते का लाभ भी पेंशन में जोड़ा जाएगा।
सरकारी कर्मचारियों के लिए फायदे
पुरानी पेंशन स्कीम दोबारा आने से अब सबसे बड़ा फायदा जीवनभर निश्चित आय का होगा। कर्मचारियों को हर महीने तय रकम पेंशन मिलेगी, जिससे उनके जीवनस्तर पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
दूसरा बड़ा लाभ यह है कि पेंशन में महंगाई भत्ता (DA) समय-समय पर जोड़ा जाएगा। यानी बढ़ती महंगाई का असर पेंशनधारक पर उतना नहीं होगा जितना NPS में होता था।
साथ ही, परिवार पेंशन का प्रावधान भी OPS में बरकरार है। इसका मतलब है कि कर्मचारी के निधन की स्थिति में उसके परिवार को भी आर्थिक सुरक्षा मिलती है।
सरकार और राज्यों की भूमिका
हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से स्थिति स्पष्ट हो गई है, लेकिन इसे लागू करने में राज्यों और केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। कई राज्यों ने पहले ही OPS लागू कर दिया है, अब बाकी राज्यों पर भी दबाव बढ़ जाएगा।
केंद्र सरकार पर वित्तीय बोझ जरूर बढ़ेगा क्योंकि OPS सरकार द्वारा पूरी तरह वित्तपोषित है। लेकिन यह भी सच है कि इससे कर्मचारियों का भरोसा और कार्यक्षमता दोनों में इजाफा होगा।
कई आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि OPS लागू होने से सरकार पर भविष्य में बड़ी वित्तीय जिम्मेदारी आएगी। लेकिन कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यह उनका अधिकार है और उनकी मेहनत का सीधा हक है।
आवेदन और पात्रता के नियम
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब 2004 से पहले नियुक्त कर्मचारियों को सीधे इसका लाभ मिलेगा। उन्हें अलग से कोई आवेदन करने की जरूरत नहीं है।
लेकिन 2004 के बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों की स्थिति फिलहाल स्पष्ट नहीं है। उनके लिए अलग से सरकार को दिशा-निर्देश जारी करने पड़ सकते हैं। कुछ राज्यों में सरकार ने 2004 के बाद वालों को भी OPS में आने का विकल्प दिया है, जिसके लिए आवेदन करना होता है।
फिलहाल, यह देखना जरूरी होगा कि केंद्र सरकार इस फैसले को कैसे लागू करती है। अधिकारियों और कर्मचारियों को इसकी विस्तृत गाइडलाइन का इंतजार है।
निष्कर्ष
पुरानी पेंशन स्कीम पर आया सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला लाखों कर्मचारियों के लिए राहत और खुशी लेकर आया है। यह न केवल आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगा बल्कि सरकारी नौकरी की विश्वसनीयता भी बढ़ाएगा। आने वाले समय में यह देखने लायक होगा कि केंद्र और राज्य सरकारें इस फैसले को किस तरह लागू करती हैं और किस हद तक कर्मचारियों को इसका सीधा लाभ मिलता है।