भारतीय उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। केंद्र सरकार ने हाल ही में जीएसटी (GST) दरों में बदलाव किया है, जिसके चलते रोजाना इस्तेमाल होने वाले कई उत्पाद अब पहले से सस्ते हो गए हैं। इन उत्पादों में शैंपू, साबुन और लोकप्रिय हेल्थ ड्रिंक Horlicks शामिल हैं। यह निर्णय न केवल उपभोक्ताओं के खर्च को कम करेगा, बल्कि बाजार में भी नई हलचल लेकर आया है।
भारत में जीएसटी की शुरुआत 2017 में “वन नेशन, वन टैक्स” की सोच के साथ हुई थी। इस टैक्स व्यवस्था ने राज्यों और केंद्र के कई अलग-अलग करों को खत्म करके सिर्फ एक टैक्स प्रणाली लागू की। हालांकि बीते वर्षों में आम जनता कई बार यह मांग करती रही है कि जरूरत की चीजों पर टैक्स दरें कम की जाएं। सरकार ने लोगों की इन मांगों को ध्यान में रखते हुए हाल ही में दरें घटाई हैं।
इसका सबसे बड़ा सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ा है क्योंकि देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी (FMCG) कंपनियों ने तुरंत कीमतें घटा दी हैं। अब एक सामान्य परिवार के लिए नहाने का साबुन, शैंपू और बच्चों का हेल्थ ड्रिंक Horlicks पहले की तुलना में आसानी से खरीदा जा सकेगा।
New GST Rates 2025
सरकार ने जिन उत्पादों की जीएसटी दरें घटाई हैं, उनमें मुख्य रूप से शैंपू, साबुन और हेल्थ ड्रिंक आते हैं। पहले इन पर 18% तक जीएसटी लिया जा रहा था, जिससे यह महंगे हो जाते थे। लेकिन नई दरों में इन्हें 12% स्लैब में ले जाया गया है।
इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा गरीब और मध्यवर्गीय परिवारों को होगा। रोजाना इस्तेमाल के इन सामानों पर टैक्स कम होने के चलते प्रति माह खर्च में स्पष्ट कमी आएगी। उदाहरण के रूप में, अगर पहले 100 रुपये के शैंपू पर 18 रुपये टैक्स लगता था, तो अब सिर्फ 12 रुपये ही टैक्स देना होगा। यही अंतर आखिरकार ग्राहक की जेब में बचेगा।
कंपनियों की भूमिका और दाम में कटौती
दरअसल, सरकार के फैसले का असर तभी दिखता है जब कंपनियां भी उपभोक्ताओं तक इसका लाभ पहुंचाती हैं। देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी—हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL)—ने तुरंत अपने कई प्रोडक्ट्स के दाम कम कर दिए हैं। इनमें शैंपू, साबुन, Horlicks और अन्य हेल्थ ड्रिंक शामिल हैं।
जैसे ही कंपनी ने नई कीमतों का एलान किया, बाजार में एक तरह की सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी गई। खुदरा दुकानदारों ने बताया कि ग्राहकों ने कम दाम सुनकर ज्यादा मात्रा में प्रोडक्ट्स खरीदना शुरू कर दिया। यह बदलाव न सिर्फ आम उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी है, बल्कि कंपनियों के लिए भी बिक्री बढ़ाने का मौका लेकर आया है।
उपभोक्ताओं के लिए राहत
पिछले कुछ समय से महंगाई आम जनता के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। खाने-पीने से लेकर रोजाना के अन्य सामान तक, हर चीज महंगी होती जा रही थी। ऐसे में शैंपू, साबुन और बच्चों के लिए सबसे लोकप्रिय हेल्थ ड्रिंक Horlicks जैसे सामान के दाम घटना लोगों की जेब के लिए सीधी राहत है।
एक आम परिवार महीने में इन प्रोडक्ट्स पर औसतन 500 से 1000 रुपये खर्च करता है। जीएसटी में हुई कटौती से उन्हें करीब 50 से 100 रुपये तक की बचत हो सकती है। यह बचत भले ही छोटी दिखे, लेकिन सालाना हिसाब में इसका असर महत्वपूर्ण होगा।
सरकार का उद्देश्य
सरकार का यह फैसला केवल महंगाई कम करने तक सीमित नहीं है। इस कदम का दूसरा बड़ा उद्देश्य खपत (कंजम्प्शन) को बढ़ावा देना है। अगर लोगों के पास बचत होगी, तो वे ज्यादा खरीदारी करेंगे, और इससे बाजार के उत्पादों की डिमांड में भी तेजी आएगी।
जीएसटी दरों में समय-समय पर बदलाव का मकसद यही होता है कि जिन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल घर-घर में होता है, उनकी कीमत सबसे कम रहे। इसी सोच के तहत शैंपू और साबुन जैसे आवश्यक सामान को कम टैक्स श्रेणी में लाया गया है।
बाजार और उद्योग पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी की इस कटौती से एफएमसीजी सेक्टर को सीधा फायदा होगा। कंपनियों की बिक्री बढ़ेगी और वे नए प्रोडक्ट लॉन्च करने के लिए भी प्रेरित होंगी। खुदरा कारोबारियों ने भी कहा कि जब दाम कम होते हैं तो ग्राहक ज्यादा खरीदारी करता है और बिक्री में करीब 15% तक का इजाफा देखने को मिलता है।
इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में भी ऐसे बदलाव का ज्यादा असर होता है। गांवों के लोग अक्सर शैंपू और साबुन जैसे प्रोडक्ट की कीमतों के प्रति संवेदनशील रहते हैं। कीमतें घटने के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि कंपनियां ग्रामीण बाजारों में अपनी पकड़ को और मजबूत करेंगी।
आने वाले समय में संभावनाएं
कई अर्थशास्त्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार इस तरह उपभोक्ता वस्तुओं पर टैक्स दरें घटाती रही तो इससे महंगाई पर भी नियंत्रण मिलेगा। आने वाले दिनों में अन्य रोजमर्रा के उत्पादों जैसे टूथपेस्ट, तेल और जूस पर भी जीएसटी दरों में संशोधन किया जा सकता है।
हालांकि, यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि सरकार को टैक्स कटौती से राजस्व में कमी का नुकसान झेलना पड़ता है। लेकिन बढ़ी हुई खपत और बिक्री से अर्थव्यवस्था को जो सहारा मिलेगा, उससे राजस्व की कमी की भरपाई हो सकती है।
निष्कर्ष
जीएसटी दरों में कटौती से न केवल उपभोक्ताओं को तत्काल राहत मिली है, बल्कि कंपनियों और बाजार को भी नई ऊर्जा मिली है। शैंपू, साबुन और Horlicks जैसे जरूरी प्रोडक्ट्स के सस्ते होने से हर घर का मासिक बजट हल्का हो गया है। यह कदम सरकार के “सस्ता और सुलभ भारत” की दिशा में एक मजबूत प्रयास माना जा रहा है।